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Wednesday 27 February 2013

Ashish Pandey


ये दिल जो है बस कहे जा रहा है.. 
बस उसी सख्श का नाम लिये जा रहा है ..
ना जाने क्यु उसे दिल आज भी याद करता है .
मै हूँ उसके पास ..शायद ये दिल बार बार कहता है ...
                                       
दिन मे ना चैन है.. राते भी कितनी बेचैन है ..
दिन तो फिर भी कट जाते है .रातो को रोते ये मेरे नैन है..
और मेरी आँखों का दरिया बस यही धुन लगाये जा रहा है .. 
ये दिल जो है बस कहे जा रहा है..................
                                 
तुम जो हुए हो तन्हा , मुझे ना करना 
उसकी नादानियों को खुद में समेटे रहना 
मेरी हर शांत धक् धक् के पीछे है उसकी बीती इनायते 
                                             
हो गुलज़ार उसकी अदाएं ये हर पल दूआ करना 
तूने जो दी है दुआएँ उसको उन्ही के सहारे वो जिए जा रहा है 
.....
ये दिल जो है बस कहे जा रहा है
 — 
सौजन्य से ....

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